गुरुवार, मार्च 07, 2024

दृष्टिकोण

 एक कवि कहते हैं कि “बहुत खतरनाक होता है हमारे सपनों का मर जाना”।

वहीं दूसरी तरफ एक पंक्ति आती है “कुछ सपनों के मर जाने से जीवन नहीं मरा करता”।

उपरोक्त में पहली पंक्ति कवि पाश द्वारा लिखी गई है। और दूसरी पंक्ति गोपाल दास ‘नीरज’ द्वारा।

दोनों कवि दोनों कवियों ने अपनी परिस्थिति और दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए काव्य की रचना की। सामान्यत: ऐसा समझा जाता है कि कवि को मुक्त हृदय से काव्य की रचना करनी चाहिए। परंतु ऐसा संभव नहीं होता। कवि के व्यक्तित्व का कुछ अंश कविता में प्रदर्शित हो ही जाता है। एक कविता जीवन की नास्तिकता को प्रकट करती है, वहीं दूसरी जीवन की आस्तिकता को। घोर तनाव से जूझ रहे व्यक्ति के ऊपर इन कविताओं का क्या फर्क पड़ेगा। यह व्यक्ति की अपनी समझ पर छोड़ा जा सकता है। 



पाश जी के अनुसार जीवन का सबसे दुर्भाग्यपूर्ण पल वह होता है जब वह निरुद्देश्य हो जाए। जब हमें अपने जीवित होने का एहसास ही न रहे। जीवन यंत्रवत चलता रहे। यहां कवि ‘बहुत खतरनाक’ और ‘सपनों’ को मुख्य बताकर मृत्यु को गौण रूप में प्रदर्शित किया है।

नीरज जी पंक्तियों का तात्पर्य ऐसे समझ जा सकता है। जैसे किसी वृक्ष की किसी शाखा को काट देने के बाद वृक्ष की अन्य शाखाओं पर वसंत का आना बंद नहीं होता। कभी-कभी वृक्ष को पूरा काट देने के बाद भी उसके तने से कोंपलें फूट पड़ती है। जो जीवन की विपरीत परिस्थितियों में भी जीवन्तता का संकेत करतीं हैं। यहां ‘कुछ सपनों’ कहकर ही परिस्थितियों को गौण करके जीवन के विस्तृत फलक को उद्घाटित किया गया है।



~पवन कुमार यादव