मंगलवार, अगस्त 19, 2025

प्राइवेसी / Privacy

आजकल मैं देख रहा हूं कि फेसबुक पर एक नई बीमारी चली है, और बीमारी यह है कि 👇


“मै 'फलाना' यह स्पष्ट करता हूँ,कि मैं अपनी निजी जानकारी.......फ़ेसबुक या मेटा को कोई अनुमति नहीं देता हूँ॥”


पिछले कुछ दिनों से कि इसकी बाढ़ सी आ गई है। मेरे मित्र मंडली का हर दूसरा दोस्त यही लिख-लिख कर चिपका रहा है। और यह पूरी व्यवस्था कॉपी-पेस्ट के जरिए चल रही है। वैचारिक रूप से देखा जाए तो यह कहीं न कहीं प्राइवेसी को नियंत्रित करने की हमारी समझ को दर्शाता है। हमें पता ही नहीं है कि हम अपनी प्राइवेसी को किस प्रकार अपने दायरे में रख सकते हैं?

 


भारत में बहुत धड़ल्ले से एप्लीकेशन को इंस्टॉल किया जाता है परमिशन के नाम पर जल्दी-जल्दी 'Allow all permission' पर क्लिक करके एप्लीकेशन के अंदर प्रविष्टि कर जाते हैं। उन्हें यह ज्ञात ही नहीं है कि अनजाने में ही सही उन सभी लोगों ने अपने फोन का पूरा एक्सेस एक छोटे से एप्लीकेशन अथवा उसकी कंपनी को दे दिया। ठीक है, आजकल टर्म एंड कंडीशंस कौन पढ़ता है! परंतु इतनी समझ तो होनी ही चाहिए कि हमारे कांटेक्ट से लेकर के गैलरी, नोटपैड,फाइल आदि जब हम किसी एप्लीकेशन को इन सब की परमिशन देते हैं तो उसके पीछे का क्या कारण हो सकता है! 

एक उदाहरण लेते हैं-

जैसे आपने व्हाट्सएप #WhatsApp अपने फोन में इंस्टॉल किया। वह आपसे क्या-क्या परमिशन मांग सकता है-


कांटेक्ट 

गैलरी 

कैमरा 

माइक्रोफोन 

फाइल

लोकेशन आदि,


लेकिन हमें यह समझना चाहिए कि उपरोक्त में से कौन - कौन सी अनुमति देना आवश्यक है। इसे ऐसे समझते हैं जैसे आपने कांटेक्ट की परमिशन नहीं दी तो क्या होगा? यदि आपने कांटेक्ट की परमिशन नहीं दी तो व्हाट्सएप आपके किसी भी कांटेक्ट को एक्सेस नहीं कर पाएगा। इसका परिणाम यह होगा कि आपकी कांटेक्ट सूची में जो भी लोग व्हाट्सएप का इस्तेमाल करते हैं, आप उनसे जुड़ने से वंचित रह जाएंगे। सामाजिक रूप से देखा जाए तो इतना कठोर भी नहीं होना चाहिए, कि व्हाट्सएप इंस्टॉल करने के बाद आप कांटेक्ट की परमिशन ही नहीं दिए इससे बेहतर है कि आप व्हाट्सएप का इस्तेमाल करना बंद कर दीजिए। अर्थात व्हाट्सएप को कांटेक्ट की अनुमति देना ठीक होगा। 

शेष जो जानकारियां हैं वह मांग रहा है उसे देना न देना आपका विवेक पर निर्भर करता है। यदि किसी ने आपको व्हाट्सएप पर एक फोटो भेजी, तब उसे स्टोर करने के लिए आपको उसे फाइल एक्सेस की अनुमति देनी पड़ सकती है।

इसलिए आपको अपनी आवश्यकता अनुसार किसी भी ऐप को अनुमति देना चाहिए।

अब इसका दूसरा पहलू देखते हैं। यदि आप समझ रहे हैं कि इतना भर करने से आपकी निजता सुरक्षित है, तब तो आप बड़े भोले हैं। 

अपनी निजता (privacy) की सुरक्षा करना आपका अधिकार है और करना भी चाहिए। 


एक दूसरा उदाहरण लेते हैं, एक ऐप है जिसे #Truecaller कहते हैं। मान लीजिए कि आपने अपने पूरे जीवन में कभी भी इस एप्लीकेशन का उपयोग नहीं किया, परन्तु अपका मित्र इसको खुलकर उपयोग में ले रहा है। मित्र होने के कारण आपका मोबाइल नंबर उसने अपने कांटेक्ट्स में सुरक्षित रखा है। साथ ही उस एप को अनुमति भी दे रहा, जिससे अंजाने में ही आपका उस एप के पास चला जाता है। वो भी बिना आपकी इच्छा के। 

अब आप सोच रहे होंगे कि इसका समाधान क्या है! तो बंधु इसका कोई समाधान नहीं है। इंटरनेट और #android के जमाने में यदि आप सुरक्षित रहना चाहते हैं तो इसका उपयोग करना बंद कर दीजिए, जो कि संभव नहीं लगता। इसे ऐसे भी कह सकते हैं प्राइवेसी एक मिथ है, या फिर एक सुंदर और आदर्शवादी विचार है जिसका वास्तविकता से कोई लेना-देना नहीं है।


यदि थोड़ा बहुत कुछ बचाव कर भी सकते हैं तो वह आपकी समझदारी, जागरूकता, नियंत्रण के माध्यम से ही संभव है। इस इंटरनेट की दुनिया से संबंधित कोई भी निर्णय लेने से पहले समझदारी से काम ले, यदि न समझ में आए तो किसी जानकार से भी मदद ले सकते हैं।

© पवन यादव 'सप्तर्षि'

उपरोक्त सभी तस्वीरें #pixabay से ली गई हैं।

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