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बुधवार, अप्रैल 11, 2018

दुनिया की बातों में...











दुनिया की बातों में आकर तुम मुझसे बेमानी कर बैठे।

संवाद की बजाय भरे चौराहे पर पानी - पानी कर बैठे।

तुम्हारे लगाए इल्जाम  आज भी गूंजते हैं मेरे कानों में।

खामखा यार! छोटी सी कहानी को आसमानी कर बैठे।



शनिवार, अप्रैल 07, 2018

यूं ही मुलाकातों का...

यूं ही मुलाकातों का सिलसिला बनाये रखियेगा ।

दिल की चुभन से होंठों की हंसी बनाये रखियेगा ।

वक्त की आंधी में ग़र कहीं बिखर जाये मोहब्बत,

मेरी यादों को अपने ज़हन में सजाये रखियेगा ।।

गुरुवार, अप्रैल 27, 2017

मौत के घाट उतारा हमने



कयामत आ गई जब, कर लिया किनारा हमने!
कुछ अपने, जिनको कर दिया बेसहारा हमने!!
एक पत्थर को अपना भगवान बनाने की खातिर!
जाने कितने फूलों को ‘मौत के घाट’ उतारा हमने!!

By: Pavan Kumar Yadav

सोमवार, अप्रैल 17, 2017

मुक्तक 7




तोड़कर कसमें सारी वो फरार हो गए,
दिल के बनाए रिश्ते तार-तार हो गए।
मौला! कर दे इंसाफ मेरी भी जिंदगी का,
मोहब्बत करके इस कदर हम गुनहगार हो गए।।
Pavan Kumar Yadav

मंगलवार, नवंबर 24, 2015

मुक्तक 7

अपना नही तो मेरा ही बर्बाद कर दिया करो।
मगर थोडा वक्त मेरे लिए आबाद कर लिया करो।।
प्यार के लिए ना सही दोस्तीे के लिए ही सही।
कभी कभी मुझे भी याद कर लिया करो।।

                    - Pavan Kumar Yadav

मंगलवार, अगस्त 18, 2015

मुक्तक 6

तुम मेरी जिन्दगी में आयी, शायद मेरा जीवन सवँर जाये।
खबर फैलते देर नही और सांसो की माला टूटकर बिखर जायें॥
ना जाने कब इजहार करोगी मुझसे अपने प्यार का।
कही ऐसा ना हो कि बात दिल में दबी रहे, और वक्त गुजर जाये॥

written by PAVAN KUMAR YADAV

रविवार, मई 17, 2015

मुक्तक 5


अतीत के सपनो को छोड़कर कभी वर्तमान का निर्माण कर के तो देखो।
दिमाक की छोड़कर कभी दिल की बाते सुन कर तो देखो॥
मैं मानता हूं कि तुमने भी खाया होगा धोखा किसी को टूटकर चाहने में।
लेकिन सिर्फ एक बार अपने चाहने वाले को प्यार कर के तो देखो॥

मुक्तक 4 (माँ)


माँ तेरे कदमों में ही व्याप्त मेरा सारा जहान है।
तेरा बेटा बनने को स्वयं भगवान भी परेशान है।
लोग लाख अदा कर सकते है कुछ भी मगर।
क्या चुकाएगें माँ का ऋण जो मिलने के बाद भी वरदान है॥

शुक्रवार, मई 08, 2015

मुक्तक 3



मुक्तक 2

गम-ए-जुदाई ना तुम सह पाओगी ना हम सह पाएंगे।
मेरे बिना ना तुम रह पाओगी ना तुम्हारे बिना हम रह पाएंगे॥
ये दिल तो एहसासो की पावन डोर से बधां है।
तुम चाह कर भी तोड़ नही पाओगी,
हम इसे चाह कर भी जोड़ नही पाएंगे॥

गुरुवार, मई 07, 2015

मुक्तक 1


किसी ने मुझको अपना पहला प्यार बनाया था।
मैं भी पूरी जिन्दगी उसके साथ बिताने का मन बनाया था॥
कितना नासमझ था जो उनकी साजिशोँ को मोहब्बत समझ बैठा ।
आज गीतकार हूँ क्योकी कभी इन्तजार में मैं भी समय गवांया था॥