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रविवार, मई 17, 2015
मुक्तक 4 (माँ)
माँ तेरे कदमों में ही व्याप्त मेरा सारा जहान है। तेरा बेटा बनने को स्वयं भगवान भी परेशान है। लोग लाख अदा कर सकते है कुछ भी मगर। क्या चुकाएगें माँ का ऋण जो मिलने के बाद भी वरदान है॥
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