हिन्दी साहित्यशाला

आपकी मूल्यवान टिप्पणियाँ हमें उत्साह और सबल प्रदान करती हैं, आपके विचारों और मार्गदर्शन का सदैव स्वागत है !

शुक्रवार, मई 08, 2015

मुक्तक 3



By Pavan Kumar Yadav at शुक्रवार, मई 08, 2015
इसे ईमेल करेंइसे ब्लॉग करें! X पर शेयर करेंFacebook पर शेयर करेंPinterest पर शेयर करें
Labels: शायरी

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

नई पोस्ट पुरानी पोस्ट मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें टिप्पणियाँ भेजें (Atom)

Menu

  • होम
  • साहित्यिक लेख
  • कविता
  • ग़ज़ल
  • टू लाइनर शायरी
  • शायरी
  • समाचार

कुल पेज दृश्य

  • मुख्यपृष्ठ

Tags

Popular

  • जगाया क्यों नहीं?
    जैसे ही सुमन की दृष्टि शेखर पर पड़ती है, वह वहीं से ऊँचे स्वर में बोलते हुए कहती है, "आज सुबह तुमने मुझे जगाया क्यों नहीं!...
  • 'मैं तुमसे प्यार करता हूं'
    तेरी यादों से पल-पल जीना दुश्वार करता हूं! मैं तुमसे प्यार करता हूं, मैं तुमसे प्यार करता हूं। आओ मिलकर साथ जिये, जो ख्वाब हमा...

मेरे बारे में

मेरी फ़ोटो
Pavan Kumar Yadav
मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें

Social Media Icons

  • twitter
  • facebook
  • instagram
  • email

Featured

Categories

  • कविता (14)
  • ग़ज़ल (4)
  • टू लाइनर शायरी (4)
  • लघु कथा (1)
  • शायरी (12)
  • संस्मरण (3)
  • समाचार (5)
  • साहित्यिक लेख (28)

सदस्यता लें

संदेश
Atom
संदेश
टिप्पणियाँ
Atom
टिप्पणियाँ
ब्लॉग की सभी रचनाएं स्वरचित हैं। फोटो का संग्रहण इन्टरनेट से किया गया है।. सरल थीम. Blogger द्वारा संचालित.