वो एक हसीन शाम थी।
जो सिर्फ तुम्हारे नाम थी॥
पहली बार मैने अभिवादन किया।
अपनी जिन्दगी का जो उस वक्त मेरे पास थी॥.....1
सुबह होने लगी, जल्दी ही वो दौर भी करीब था। हमेँ मिलना और बिछड़ना, शायद यही हमारा नसीब था॥.....2
तुम यहां से चली गयी, मेरी जिन्दगी ठहर गयी। किसी तरह मैँने खुद को सम्हाला, परन्तु तुम्हारी याद मेरे पास रह गयी।.....3
एक दिन मुझे तुम्हारा संदेश मिला॥ ऐसे ही शुरु हुआ हमारी बातो का सिलसिला। जीवन का खास अनुभव था जिसमें, कुछ उतार-चढाव भी देखने को मिला॥......4
तुम मेरी थी या नही लेकिन मैं तुम्हारा था। तुम्हारी अनुभूति को प्रेम समझना कसूर हमारा था॥ मैंने फैसला तुम्हारे ऊपर छोड़ा क्योकि तुम्हारा दिल भी तो किसी से हारा था॥......5
तुम एक बार मुझे अपनी पसंद बनायी होती। यदि कोई था तुम्हारे दिल मेँ तो बतायी होती। खिडकी पर दुबारा कुछ लिखा क्योँ, एक बार मतलब समझायी होती॥......6
प्यार के खेल में मैं अजीब बन कर रह गया। दिल का दर्द भी आँसू बन कर बह गया॥ क्या जी सकोगे तुम इस बेपरवाह दुनिया में? जब तुम्हारे पास अपना कोई साथी नही रह गया॥......7
शायद यही है एक तरफा प्यार, जिसमेँ कोई एक होता है मिलने को बेकरार। और दूसरा सोता है बेफिक्र, उसकी नजर मेँ होता है ये सब बेकार।......8
PAVAN KUMAR YADAV
सुबह होने लगी, जल्दी ही वो दौर भी करीब था। हमेँ मिलना और बिछड़ना, शायद यही हमारा नसीब था॥.....2
तुम यहां से चली गयी, मेरी जिन्दगी ठहर गयी। किसी तरह मैँने खुद को सम्हाला, परन्तु तुम्हारी याद मेरे पास रह गयी।.....3
एक दिन मुझे तुम्हारा संदेश मिला॥ ऐसे ही शुरु हुआ हमारी बातो का सिलसिला। जीवन का खास अनुभव था जिसमें, कुछ उतार-चढाव भी देखने को मिला॥......4
तुम मेरी थी या नही लेकिन मैं तुम्हारा था। तुम्हारी अनुभूति को प्रेम समझना कसूर हमारा था॥ मैंने फैसला तुम्हारे ऊपर छोड़ा क्योकि तुम्हारा दिल भी तो किसी से हारा था॥......5
तुम एक बार मुझे अपनी पसंद बनायी होती। यदि कोई था तुम्हारे दिल मेँ तो बतायी होती। खिडकी पर दुबारा कुछ लिखा क्योँ, एक बार मतलब समझायी होती॥......6
प्यार के खेल में मैं अजीब बन कर रह गया। दिल का दर्द भी आँसू बन कर बह गया॥ क्या जी सकोगे तुम इस बेपरवाह दुनिया में? जब तुम्हारे पास अपना कोई साथी नही रह गया॥......7
शायद यही है एक तरफा प्यार, जिसमेँ कोई एक होता है मिलने को बेकरार। और दूसरा सोता है बेफिक्र, उसकी नजर मेँ होता है ये सब बेकार।......8
PAVAN KUMAR YADAV
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