क्या सुनोगे किस्सा मेरा,
जो उलझा है तकरार में!
एक रात गुजारी तन्हा,
फिर तेरे इन्तजार में!!
निकला हूँ मैं ढूंढने,
उस पल भर के आशियाने को!
कहाँ वो सुकूं? जो बीत गया,
कालेज के गुलजार में!!
दुनिया यूं ही दीवानी नहीं,
कुछ तो बात है आशिकी में!
जो चिंगारी थी बदले की,
वो भी सम्हल गयी प्यार में !!
लोगो का क्या लेकिन तुम तो,
खेवनहार थे कश्ती के!
क्या होगी ऐसी जिंदगी,
जब तुमने छोड़ दिया मझधार में!!
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