कुछ खुशियां बेवजह मना लेनी चाहिए। जैसे आज किसी ना किसी का तो जन्मदिन होगा ही! आज उसे मेरी तरफ से ‘जन्मदिन’ की हार्दिक शुभकामनाएं!
ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि उसे हमेशा खुश रखना, परन्तु जिसकी नियति ही उससे जुदा हो गयी हो, उसके लिए किस खुशी की दुआ करूं! जो पूरा जीवन दुःख में भी जीने को तैयार हो तो, सिर्फ साथ में। उसके लिए जीवन भर की खुशियां हास्यास्पद लगती है। बहुत मुश्किल होता है 'जन्मदाता ' और ' वरण' में से किसी एक का चुनाव करना। परंतु जब नियति बिना अवसर दियेे दोनों की अनुपस्थिति में जीने को मजबूर करती है, व अपने फैसले हमारे ऊपर थोप देती है, तो वह दु:ख हमारी कल्पना से परे होता है।
इस बात की प्रशंसा करनी होगी कि आखिरी रास्ता होते हुए भी वह अपने जीवन को किसी तरह जी रही हैं। दुःखों के थपेड़े सहते हुए वो आज भी अपना अस्तित्व बनाए हुए हैं
ईश्वर उसकी इस तपस्या को अवश्य पूरी करेंगे।
-Pavan Kumar Yadav
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