गुरुवार, मार्च 17, 2016

"कुछ रिश्ते"

कुछ रिश्ते समय की भाग दौड़ में खो जाते है।
लोगो के डर से वो किसी और के हो जाते है।
कुछ रिश्ते ऐसे भी रह जाते है।
जिनके महल दो दिलों के दरमियाँ ढ़ह जाते हैं।
कुछ रिश्ते हर घूंट जहर का पी जाते हैं।
जीतकर मौत को भी जी जाते है।
कुछ रिश्ते अश्रुधार में बह जाते है।
जो बिन बोले सबकुछ कह जाते हैं
कुछ रिश्ते पर बदनामी के कफ़न पड़ जाते है।
तो कुछ खुदगर्ज़ इरादों पर बलि चढ़ जाते हैं।
कुछ रिश्ते आम होते है।
सब की जुबा पर उन्ही के नाम होते हैं।
कुछ रिश्ते केवल दाम के होते है।
अच्छी कीमत पर रिश्ते बदनाम होते हैं।
कुछ रिश्ते काल कोठरी में घुटते है।
खुद में जीते खुद में मरते है।
कुछ रिश्ते नया सवेरा लाते हैं।
जो रिश्तो की नयी परिभाषा लिख जाते है।
कुछ रिश्ते शाम की तरह ढल जाते हैं।
वो साम्य जीवन का कल बन जाते हैं।
कुछ रिश्ते मेघ बन जाते हैं।
बैठे बैठे यूं ही बरस जाते है।
कुछ रिश्ते अक़्सर गुमशुम रहते है।
आँखे आवाज लगाती, होठ चुप चुप रहते हैं।
कुछ रिश्ते आँखों में कह लेते है।
हाल ए दिल ख़ामोशी में पढ़ लेते हैं।
कुछ रिश्ते का ये पैमाना होता है।
बस वो पैमाने में होता है।
कुछ रिश्ते नाजुक फूल होते हैं।
दिल को जख्मी करने वाले इनके शूल होते है।

Written by - Pavan Kumar Yadav

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