बुधवार, अक्तूबर 04, 2017

बड़ी बात


ठोकर खाकर तो कई बार उठ सकते हैं।
नजरों से गिरकर सम्हलना बड़ी बात है।।

उड़कर तो परिन्दे भी छू लेते हैं बुलंदियां।
जमीं से आसमान चूमना बड़ी बात है।।

मुकाम टूटे मार्गों से भी हासिल होगा पर।
लीक से हटकर नई राह बनाना बड़ी बात है।।

इस दौर की स्वार्थी सफलता का त्याग कर।
अपनी हार से दुनिया को जीताना बड़ी बात है।।

हाल-ए-दिल अंदाज-ए-बयां सबको है मालूम।
अल्फाजों को समेटकर गज़ल कहना बड़ी बात है।।

रिक्वेस्ट,अनफ्रेंड,ब्लॉक ये सब तो फैशन है।
मुरझाए फूल किताबों में मिलना बड़ी बात है​।।

Pavan Kumar Yadav

  • अमर उजाला द्वारा चलाए गए काव्य अभियान में भी यह गजल पब्लिश हो चुकी है। उसे आप बड़ी बात पर क्लिक करके पढ़ सकते हैं।
  • उपरोक्त गजल दैनिक जागरण की वीथिका के लखनऊ जागरण में प्रकाशित हो चुकी है :


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