रविवार, नवंबर 05, 2017

बाल-कविता


कभी जो आई मुसीबत अकेले दौड़ौगे।
संघर्षों से कब तक टूट कर लड़ोगे।
जीवन के सफर में जरूरी होता है मित्र,
कौन देगा साथ यदि विश्वास किसी का तोड़ोगे।

जोक्स किससे सुनोगे और किसे सुनाओगे।
बिना दोस्त के पढ़ने किसके साथ जाओगे।
अगर अब नहीं बदलोगे आदतें अपनी,
एक दिन खुद ‘उपहास के पात्र’ बन जाओगे।
थोड़ा तो ‘अदब’ रखो बड़ो की बातों का,
यदि फिसल भी गए तो संभल जाओगे।

अपने लक्ष्य की तरफ एक कदम बढ़ा कर देखो।
जो हो रही हैं गलतियां उनको निपटाकर सीखो।
रास्ते का हर पत्थर मुस्कुराएगा तुम्हारी कामयाबी पर,
बस ‘आत्मसात’ का दीपक हृदय में जला कर रखो।


By- Pavan Kumar Yadav

कोई टिप्पणी नहीं: