अक्षर-अक्षर ज्ञान बढ़ाएंगे, जन-जन का मान बढ़ाएंगे!
अक्षर-अक्षर ज्ञान बढ़ाएंगे,जन-जन का मान बढ़ाएंगे!
धरा सुशोभित नवपुष्पों को आधार बनाकर,
कोमल-कल्पित सपनों को साकार बनाकर,
उन्मुक्त हँसी का परचम दुनिया में लहराएंगे!
अक्षर-अक्षर ज्ञान बढ़ाएंगे,
जन-जन का मान बढ़ाएंगे!
नव कर्ण-आधारों के कन्धों का भार घटाकर,
स्वस्थ सुसज्जित कोमलता का संसार बनाकर,
हृदय युक्त देश का, हर स्थायी भाव बनायेंगें!
अक्षर-अक्षर ज्ञान बढ़ाएंगे,
जन-जन का मान बढ़ाएंगे!
जाति-पांति और रंग-द्वेष का भेद मिटाकर,
एक सशक्त समाज की, दृढ़ बुनियाद बनाकर,
स्वर्णिम भविष्य का, सुंदर महल बनायेंगें!
अक्षर-अक्षर ज्ञान बढ़ाएंगे,
जन-जन का मान बढ़ाएंगे!
आओ मिलकर हम एक अभियान चलाते हैं,
नन्हे-नन्हे फूलों एक बेहतर इंसान बनाते हैं,
मुरझाये चेहरों का फिर से बचपन लौटाएंगे,
अक्षर-अक्षर ज्ञान बढ़ाएंगे,
जन-जन का मान बढ़ाएंगे!
© पवन कुमार यादव
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