बुधवार, अगस्त 12, 2020

"वनवास"



जलाते हैं जब स्वयं को तब प्रकाश होता है!

कुछ इस तरह पूरी सृष्टी का विकास होता है!

भर जाती है जिंदगी जब अमावस की रातों से,

तब एक चाँद के टुकड़े का एहसास होता है!


इस टूटे - दिल में निर्जनता का वास होता है!

दुःखों का पहाड़ हमारे आस - पास होता है!

क्यों डगमगाने लगते हैं इरादे किसी दृढ़ी के?

जब सबको भगवान पर पूर्ण विश्वास होता है!


दुर्भाग्य पर हमारा एक विफल प्रयास होता है!

देख कर उन बच्चों को मन निराश होता है!

छीन लेती है नियति जब उनके माता-पिता, फिर,

जिंदगी के हर मोड़ पर उनका परिहास होता है!


दुनियाँ में कहाँ कोई काम आसान होता है?

अपनी इच्छाओं हेतु हर कोई परेशान होता है!

समय भी बड़े धैर्य से गढ़ती है चरित्र मानव का,

क्योंकि 'श्री-राम' बनने के लिये ही वनवास होता है!


-पवन कुमार यादव।


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