सरकार अपने कार्य में सफल हो गई। पिछले दो-तीन महीनों से जिसके कारण जद्दोजहद में जूझ रही थी, आखिर उस को अंजाम दे ही दिया गया। किसानों का दिल्ली आकर प्रदर्शन करना सरकार द्वारा ही बिछाया गया जाल रहा होगा। जिसमें देश का अन्नदाता स्वाभाविक रूप से फंस गया। पिछले दिनों में किसानों द्वारा किए गए प्रदर्शन में शतकाधिक किसान शहीद हो गए। जिसकी किसी को कोई भी परवाह नहीं। सोशल मीडिया से लेकर समाचार पत्रों तक कोई भी इस आवाज को उठाने की जहमत नहीं करता।
यह घटना बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। इसे पहले ही रोका जा सकता था। परंतु इस दिशा में कोई भी कदम नहीं उठाया गया। बल्कि इनके ऊपर ही झूठा आरोप लगाकर देशद्रोही और आतंकवादी सिद्ध करने का प्रयास किया जा रहा है।
ध्यातव्य है कि यदि यहां पर किसान हार जाएंगे तो स्पष्ट तौर पर लोकतंत्र हार जाएगा। क्योंकि इसके बाद भी कई प्रकार के बिल आएंगे जो सामान्य जन की अस्मिता पर चोट पहुंचाएंगे और हम सभी में इतनी हिम्मत नहीं होगी किसका विरोध भी कर पाए। किसानों के विरोध में अपनी आवाज उठा कर जिस प्रकार की देशभक्ति की जा रही है वह देश भक्ति न होकर अन्य प्रकार की भक्ति है। कृपया इससे अपना और समाज का बचाव करें। सरकार से हमारा अनुरोध है कि अपने अहम् का त्याग करें, उदार बनें और किसानों की बात सुने।
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