तुम ही मेरी कविता हो, तुम ही मेरा उपन्यास हो!
तुम ही मेरी लघुता हो, तुम ही विन्यास हो!
तुम ही मेरी हार हो, तुम ही मेरा प्रयास हो!
तुम ही मेरी जीत हो, तुम ही इतिहास हो!
तुम ही मेरी भंवर हो, तुम ही किनारा हो!
तुम ही मेरी मृत्यु हो, तुम ही जीवन धारा हो!
तुम ही मेरी रुकमणी, तुम ही मेरी राधा हो!
तुम ही मेरा लक्ष्य हो, तुम ही बाधा हो!
तुम ही मेरा शब्द हो, तुम ही मेरी भाषा हो!
तुम ही मेरे हर भाव की परिभाषा हो!
तुम ही मेरा दुख हो, तुम ही निराशा हो!
तुम ही मेरी तिनका हो, तुम ही मेरी आशा हो!
तुम ही मेरी संपदा हो, तुम ही मेरी निधि हो!
मैं अनंत जैसा विस्तृत, तुम ही मेरी परिधि हो!
तुम ही मेरा पुण्य हो, तुम ही मेरा पाप हो!
तुम ही मेरे प्रायश्चित हो, तुम ही मेरा ताप हो!
तुम ही मेरी दोस्त हो, तुम ही मेरा दुश्मन!
तुम ही मेरी जवानी हो, तुम ही मेरा बचपन!
तुम ही मेरी अवनयन हो, तुम ही मेरा उन्नयन हो!
तुम ही मेरी परीक्षा हो, तुम ही मेरा चयन हो!
तुम ही मेरी अंत्येष्टि हो, तुम ही मेरा उपनयन हो!
© पवन कुमार यादव
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