शुक्रवार, अप्रैल 16, 2021

कोरोना अपडेट्स


जब भी फेसबुक खोल रहा हूँ तब-तब कहीं न कहीं से बुरी खबर ही आ रही है। परिस्थितियां अत्यधिक विपरीत हैं। ऐसे बुरे समय में हम यदि अपने और लोगों के साथ खड़े नहीं होते हैं तो आने वाले समय में हमें सिर्फ पछतावा ही होगा। काश और यदि के अतिरिक्त कोई शब्द हमारे पास नहीं होगें। जिस प्रकार से पिछले दिनों राजधानी लखनऊ में खबरें आयीं। वे द्रवित करने वाली थीं। लखनऊ के पर्याय रहे योगेश प्रवीण और पूर्व जज की पत्नी को तुरंत उपचार मिला होता तो संभव है हालात कुछ और होते।

पूर्व जिला जज का पत्र


गांव में भी ऊपर ऊपर से हालात समान्य ही प्रतीत हो रहें हैं। लेकिन गंभीरता से पूर्णतया मुख मोड़ा नहीं जा सकता। एक विशेष सत्य ये है कि गांव ही अभी भी देश की ताकत है। आंकड़े कोरोना के जरूर बढ़ रहें हैं पर यहां गेहूं की कटान शीर्ष पर है। चइत की गर्मी से ज्यादा चुनाव की गर्मी है। कुछ व्यक्तियों का दुस्साहस इतना है कि इसे सरकार का चुनावी षड्यंत्र  तक बता रहें हैं। इसमें उनकी कोई गलती भी नहीं है। क्योंकि उनके आस-पास के हालात दैवयोग से सामान्य हैं। वैक्सीन आसानी से उपलब्ध है। टीकाकरण अभियान में बहुत तेजी नहीं है। समान्य रूप से प्रक्रिया चल रही है। जब भी आवश्यक हो, उपलब्ध  है।

'गेहूं की कटाई'


जो कुछ भी परिस्थितियां हो, अब ईश्वर को अपनी उपस्थित का प्रमाण देना चाहिए, क्योंकि कोरोना अब मनुष्यों की परिधि से बाहर जा दिखाई दे रहा है।

'कोरोना की भयावहता प्रकट करती हेडलाइन'


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"सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया,

सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दुख भागभवेत।"

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© Pavan Kumar  Yadav 

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