रविवार, मई 29, 2022

प्रेत प्रेम | पवन कुमार यादव

                          “लेखकीय


नमस्कार मित्रों,🙏🏻

हम आप सभी लोगों का स्वागत करते हैं अपनी पहली श्रृंखलाबद्ध रचना में। जिसका शीर्षक है प्रेत-प्रेम। जैसा कि शीर्षक से ही स्पष्ट है कि इस पूरी कथा का ताना-बाना किन विषयों पर आधारित है! फिर भी मैं आप सभी लोगों को आश्वस्त कर देना चाहता हूं कि पूरी कहानी शीर्षक के ही इर्द-गिर्द घूमती है। श्रृंखलाबद्ध रचनाओं का यह मेरा पहला अनुभव है। अतः आप सभी पाठक बन्धुओं से सहयोग अपेक्षित है। जहां कहीं भी, जिस भी भाग में, आप लोगों को कोई समस्या हो, कोई समाधान हो अथवा आप अपने विचार ही प्रकट करना चाहें, तो दिल खोलकर करें। यहां आप सभी का स्वागत है।

इस पूरी प्रक्रिया में भाषा का विशेष ध्यान रखा गया है। यदि आप संस्कृतनिष्ठ अथवा तत्सम शब्दावली के प्रेमी हैं, तब तो यह आपके लिए और भी महत्वपूर्ण श्रृंखला साबित होगी। इसका मुख्य उद्देश सिर्फ मनोरंजन न होकर, हिंदी भाषा के प्रति प्रेम प्रदर्शन भी है। इसे पढ़ने के उपरांत आपकी भाषा के सशक्त होने की पूरी संभावना है।

स्वाभाविक रूप से जैसे-जैसे कथा आगे बढ़ती जाएगी, उसी प्रकार नई-नई किस्तें आती जाएंगी। मैंने पहले से बहुत लंबी-चौड़ी योजनाएं नहीं बनाई है। इसलिए इसकी कितनी किस्तें आएंगी इस विषय में कुछ कह पाना मुश्किल है। आप धैर्य के साथ-साथ स्नेह बनाए रखें, आपकी रोचकता में कोई कमी नहीं आएगी। इस बात का दायित्व स्वत: ही मेरे कंधों पर है। अबतक इसके कुल तेरह भाग प्रकशित हो चुके हैं। इन्हें आप प्रतिलिपि हिंदी के एप पर जाकर पढ़ सकते हैं। लिंक निम्नलिखित है।👇

प्रतिलिपि एप डाउनलोड करने के लिए क्लिक करें 👉  प्रतिलिपि

प्रेत प्रेम को पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें 👉 प्रेत प्रेम

                                                        ~ पवन कुमार यादव

   

प्रेत प्रेम |पवन कुमार यादव


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