योग
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर The Maharaja Sayajirao University of Baroda में आयोजित कार्यक्रम में सभी लोगों ने मिलकर एक साथ योगाभ्यास किया और समस्त विश्व के कल्याण का संदेश दिया।
योग दिवस के दिन समस्त विश्व को एक संदेश देना आवश्यक होता है, जिसके कारण सामूहिक योगाभ्यास किया जाता है। फोटो और वीडियो का समुचित मात्रा में चारों ओर प्रचारित और प्रसारित किया जाता है, परंतु हमारे देश की वास्तविकता इससे कुछ भिन्न है। बच्चों से लेकर बूढ़ों और स्त्रियों में भी नियमित योगाभ्यास का अभाव पाया जाता है। योग करने की स्थिति और शैली देखकर स्पष्ट अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि कौन पहली बार कर रहा है और कौन नियमित करता है।
योग को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने तक ही क्या हमारा कर्तव्य सीमित रह गया है? हमें विचार करना चाहिए कि अपनी प्राचीन संपदा का हम कितना सम्मान करते हैं।
योग के माध्यम से हम अपने मन की वृत्तियों, अर्थात् चंचलताओं पर नियंत्रण करने का प्रयास करते हैं; परंतु जब जीवन में योग ही न हो, तो इन वृत्तियों पर कैसा नियंत्रण? इसी कारण आजकल जो भी आपराधिक घटनाएँ सामने आ रही हैं, उनका मुख्य कारण मन की वृत्तियों का अत्यधिक कामी होना है। जब तक योग के माध्यम से हम अपने मन को समुचित ढंग से नियंत्रित नहीं करते, इन घटनाओं पर भी नियंत्रण होना संभव नहीं होगा।
ऑफिस में काम करते-करते हम लोग भी ऑफिशल, अर्थात् औपचारिक हो गए हैं। प्रत्येक काम दिखावे अथवा खानापूर्ति में ही शेष रह गया है; वास्तविकता से उसका दूर-दूर का संबंध है। इसी उपलक्ष्य में आज हम सभी लोगों ने योग दिवस मनाया और संपूर्ण विश्व को योग दिवस की शुभकामनाएँ प्रेषित कीं।
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भविष्य की ओर आशापूर्ण दृष्टि रखते हुए आप सभी लोगों को योग दिवस की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ।
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