शुक्रवार, जनवरी 03, 2020

अन्तर्भाव

अक्सर हम जीवन के किसी ऐसे दोराहे पर फँस जाते हैं जहाँ पर निर्णय लेने और न लेने से अपनी ही हानि होती है। प्रेम में ऐसे दोराहे और चौराहे हमेशा मिलते हैं। प्रेम में पगा हर व्यक्ति इससे भली भांति अवगत है। संभवतः बहुत से लोगों को इसका अनुभव भी अवश्य होगा। लेकिन जब कोई किशोर इसमें डूबता है तो वह इसे कैसे सम्हालता है? अथवा हार कर परिस्थितियों के भरोसे बैठ जाता है? या फिर मैदान से भाग खड़ा होता है?
इस प्रेमकथा में सशक्त पात्र के रूप में एक स्त्री है जो कि इसकी नायिका है। नाम है सुमन। नायक के रूप में प्रभाकर है। इसके अतिरिक्त दो सहायक पात्र भी हैं, रोहित और नेहा। जो समय-समय पर इस कहानी को आगे बढ़ाते.हैं।
इनके अन्तर्ससम्बन्धों के लिए आपको पढ़ना होगा....
'अन्तर्भाव' 

       

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अन्तर्भाव



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